ओ३म् भूर्भुव: स्व:
तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि
धियो यो न: प्रचोदयात्
तूने हमें उत्पन्न किया, पालन कर रहा है तू तुझ से ही पाते प्राण हम, दुखियों के कष्ट हरता तू तेरा महान तेज है, छाया हुआ सभी स्थान सृष्टि की वस्तु वस्तु में, तु हो रहा है विद्यमान तेरा ही धरते ध्यान हम, मांगते तेरी दया ईश्वर हमारी बुद्धि को, श्रेष्ठ मार्ग पर चला
भावार्थ _ हे परमेश्वर! आप हमारे प्रियतम् प्राण हो हमें अशुभ संकल्पों तथा भौतिक विपत्तियों से हमें दूर रखें हम आपके शुद्ध प्रकाशमय स्वरुप का दर्शन अपने अन्त: करण मे नित्य किया करें हे दिव्य प्रकाशक हमें प्रकाश की ओर ले चल आपका प्रकाशमय स्वरुप हमारी बुद्धियों को सन्मार्ग में प्रवृत्त करें हम न केवल अभ्युदय अपितु नि:श्रेयस भी प्राप्त करें
Thursday, September 11, 2008
Gayatri mantra
Posted by Mahendra at 6:10 AM 0 comments
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