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Friday, July 10, 2009

कभी हादसों की डगर मिले, कभी मुश्किलों का सफ़र मिले

MAHINDRA GORELE

MAHINDRA GORELE & vIKAS
कभी हादसों की डगर मिले, कभी मुश्किलों का सफ़र मिले
ये चिराग़ हैं मेरी राह के, मुझे मंज़िलों की तलाश है|
कोई हो सफ़र में जो साथ दे, मैं रुकूं जहाँ कोई हाथ दे

कोमेरी मंज़िलें अभी दूर हैं, मुझे रास्तों की तलाश हैं


कई मोड़ आएँगे राह में , कहीं थक के बैठ ना जाऊं मैं

मेरी ज़िंदगी की ह़क़ीकतों को, नई हदों की तलाश है|
उन्हे धूप मिलनी ही चाहिए, जिन्हे बादलों की तलाश है
वही पत्तियाँ ना हरी हुईं, जिन्हे धूप में ना रखा गया|

Mahindra Gorele Photos